नौकरी के लिए अमलोरी विस्थापित युवा, दलालों का सहारा लेने को मजबूर

नौकरी के लिए अमलोरी विस्थापित युवा, दलालों का सहारा लेने को मजबूर

ओबी कंपनी में नौकरी पाने के लिए अमलोरी के विस्थापित युवा दलालों का सहारा लेने को मजबूर

सिंगरौली NCL अमलोरी परियोजना के खदान में ओबी का कार्य कर रही एक निजी कंपनी कलिंगा इस समय सुर्खियों में है। स्थानीय बताते हैं कि उक्त कंपनी में दलालों का बोलबाला पिछले कई महीनो से चल रहा है। उक्त कंपनी में नौकरी पाने के लिए यहां के विस्थापित दलालों का सहारा लेने को मजबूर हैं, और विस्थापित करें भी तो क्या। बिना दलालों के उक्त कंपनी में नौकरी नहीं लग सकती। यह हम नहीं कहते बल्कि यहां के विस्थापित कह रहे हैं।

यहां के विस्थापित नौकरी की तलाश में दर-दर भटकने को मजबूर हैं। पिछले एक महीना से लगातार कंपनी में कार्य करने वाले जावेद एवं विवेक मिश्रा नामक व्यक्ति सुर्खियां बटोर रहे हैं किसी जमाल नामक व्यक्ति का भी लोग जिक्र कर रहे हैं। यहां एक लाख से दो लाख रुपए प्रति व्यक्ति से लेके दलालों के माध्यम से उक्त कंपनी में नौकरी दी जा रही है। यहां तक कि एक व्यक्ति का व्हाट्सएप चैट भी कुछ समय पहले वायरल होते हुए देखा गया।

बहुत लंबे समय से यहां के लोकल नेता बेरोजगारों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाते नजर आ रहे हैं, और जब नेताओ की रोटी सेक दी जाति है तो नेता बेरोजगारों को यथा स्थिति में छोड़कर अपने में मस्त हो जाते हैं। इसी कारण यहां के विस्थापित दर-दर भटकने को मजबूर हैं और कलिंगा जैसे कंपनी के चंद दलाल यहां के विस्थापितों से नौकरी के नाम पर बिना रोक-टोक के पैसे की मांग कर रहे हैं।

रिपोर्ट- राजेश कुमार, सिंगरौली एम.पी.

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