जमुनाराम स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्रों को खिलाई गई फाइलेरिया से बचाव की दवा

जमुनाराम स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्रों को खिलाई गई फाइलेरिया से बचाव की दवा

जमुनाराम स्नातकोत्तर महाविद्यालय व शैल सुभाष इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैरामेडिकल साइंस के छात्रों को खिलाई ग़यी फाइलेरिया से बचाव की दवा
-सोहांव ब्लॉक मे 28 फरवरी तक चलेगा सर्वजन दवा सेवन( एमडीए )अभियान
-लाइलाज है फाइलेरिया बचाव के लिए करें दवाओं का सेवन

बलिया 22 फ़रवरी 2024 राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत सोहांव ब्लॉक में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाया जा रहा है। गुरुवार को जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव के अध्यक्षता में जमुना राम स्नातकोत्तर महाविद्यालय चितबड़ागांव मे 240  छात्र-छात्राओं एवं शैल सुभाष इंस्टिट्यूट ऑफ़ पैरामेडिकल साइंस धर्मापुर चितबड़ागांव मे 48 छात्राओं को उम्र के अनुसार फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी और एल्बेंडाजोल की दवा खिलाई गई।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जब मादा क्यूलेक्स मच्छर किसी फाइलेरिया ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है और जब यही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। मच्छर के काटने के बाद फाइलेरिया रोग के दुष्परिणाम 5 से 15 साल बाद दिखते हैं। इस बीमारी से हाथ, पैर, महिलाओं के  स्तन और पुरुषों के अंडकोष में सूजन पैदा हो जाती है। सूजन से फाइलेरिया प्रभावित अंग भारी हो जाता है और दिव्यांगता जैसी स्थिति बन जाती है। प्रभावित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टदायक हो जाता है। यह एक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी से बचाव के लिए वर्ष में एक बार और पांच साल तक फाइलेरिया से बचाव की दवा सेवन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जनपद में 28 फ़रवरी तक फाइलेरिया उन्मूलन एमडीए अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अन्तर्गत स्वास्थ्य टीम घर-घर जाकर एक वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डीईसी और एल्बेंडाजोल की निर्धारित खुराक अपने सामने खिला रही हैं। यह दवा किसी भी स्थिति में वितरित नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। पेशाब में सफेद रंग के द्रव्य का जाना जिसे काईलूरिया भी कहते हैं यह भी फाइलेरिया का ही एक लक्षण है। फाइलेरिया होने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है।

डीएमओ ने बताया कि सोहांव ब्लॉक की लक्षित आबादी 2.30 लाख के सापेक्ष अब तक एक लाख 33 हजार 883 (58 प्रतिशत) फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जा चुका है। इस दौरान दवा खाने से इन्कार करने वाले लोगों को प्रेरित कर उन्हें भी स्वास्थ्यकर्मियों के सामने दवा का सेवन कराया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता और फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्यों के माध्यम से समुदाय को लगातार जागरूक किया जा रहा है। इस कार्य में डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई और सीफार संस्था भी सहयोग कर रही है।
 क्या कहा लाभार्थियों ने- जमुनाराम स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.अंगद प्रसाद गुप्ता (उम्र 51) ने कहा देश फाइलेरिया रोग से मुक्त हो जाय इसके लिए एमडीए अभियान चलाकर घर-घर इस बीमारी से बचाव की दवाएं खिलाई जा रहीं हैं। फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है इसलिए समझदारी इसी में है कि इससे बचाव की दवा का सेवन कर लिया जाय। हमने कर लिया है बाकी लोगों को भी इस दवा का सेवन करना चाहिए।  सोहांव ब्लॉक के अंतर्गत भरौली ग्राम निवासी ऋषिकेश कुमार उम्र 24 (छात्र) ने कहा कि आज जिला मलेरिया अधिकारी ने हम सभी छात्र-छात्राओं को पहली बार फाइलेरिया रोग के कारण, लक्षण, बचाव एवं फाइलेरिया से बचाव की दवाओं के लाभ एवं खाने के निर्धारित डोज व दवा सेवन के बाद होने वाले सामान्य प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी दे दी है । इस दौरान हम सभी ने सर्व जन दवा सेवन कार्यक्रम के बारे में भी जाना और स्वास्थ्य विभाग की टीम के सामने ही हम सभी लोगों ने दवाओ का सेवन किया है। अब हम अपने संपर्क में आने वाले सभी लोगों को जागरुक कर दवा खाने हेतु प्रेरित करेंगे। इस कार्यक्रम मे वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक कृष्ण कुमार पाण्डेय एवं सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट – नवल जी, बलिया

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