जिलाधिकारी ने उद्यान परिसर में स्थापित मशरूम उत्पादन केंद्र का किया औचक निरीक्षण

जिलाधिकारी ने उद्यान परिसर में स्थापित मशरूम उत्पादन केंद्र का किया औचक निरीक्षण

जिलाधिकारी ने उद्यान परिसर में स्थापित मशरूम उत्पादन केंद्र का किया औचक निरीक्षण, मशरूम उत्पादन प्रक्रिया का लिया जायजा मशरूम को प्राथमिक विद्यालय उच्च प्राथमिक विद्यालय के मिड-डे-मील में किया जाए शामिल जिलाधिकारी ने कहा।

सोनभद्र जिलाधिकारी श्री चन्द्र विजय सिंह ने आज राजकीय पौधशाला, लोढी में जिला खनिज निधि से निर्मित मशरूम उत्पादन इकाई तथा राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत द्वारा निर्मित 1000 वर्गमीटर में बने पॉली हाउस का निरीक्षण किये, जिला खनिज निधि से निर्मित मशरूम इकाई में मशरूम उत्पादन हेतु कम्पोस्ट बैग तैयार किये गये है। जिला उद्यान अधिकारी द्वारा बताया गया कि यूनिट में उत्पादन का कार्य शुरू हो चुका है, यह जिले का पहला मशरूम यूनिट चौम्बर है, जो जनपद के कृषकों को प्रशिक्षण हेतु एक डेमों के रूप में तैयार किया गया है. साथ ही आम जनता तैयार मशरूम को कय कर सकते है। प्रति बैग लगभग 2 किलोग्राम मशरूम तैयार होता है, इस प्रकार 1600 बैग से लगभग 32 कुन्तल मशरूम का उत्पादन होने का अनुमान है।

इस समय बाजार मूल्य सामान्यतः रू0 125 से 150 प्रति किलोग्राम है। मशरूम के अन्दर उच्च क्वालिटी के एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, और फाइबर होता है, ये पोषक तत्व कोशिका और ऊत्तक क्षति को रोकते है, और प्रतिरक्षा प्रणाली को जबूत करते है। इसके साथ ही वर्तमान में पॉली हाउस के अन्दर बीज रहित खीरे की प्रजाति का रोपण किया गया है, जो लगभग 20-25 दिन में फल देना प्रारम्भ कर देगा।

जिलाधिकारी महोदय द्वारा निर्देशित किया गया कि अधिक से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर तथा जो स्वयं सहायता समूह की महिलाए प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी है उनको शामिल करते हुए और अधिक उत्पादन बढाया जाय तथा उत्पादित मशरूम जिसमें प्रोटीन की मात्रा अत्यधिक होती है उसे मिड डे मील में स्कूलों के माध्यम से बच्चों को उपलब्ध कराया जाय, इसके साथ ही विपरित मौसम में खीरा, खरबूजा तथा रंगीन शिमला मिर्च का उत्पादन करते हुए कृषकों को पॉली हाउस लगाने हेतु प्रेरित करने के लिए निर्देश दिया गया।

मशरूम के उपयोग से बच्चों, किशोरियों को एनिमिया जैसे रोगों में काफी कारगर साबित होता और कुपोषण से लड़ने में सहायता करता है, मशरूम को अस्पतालों के मरीजों को भी भोजन में शामिल करने पर बल दिया गया। उन्होंने कहा कि उत्पादित मटन मशरूम को जिले के औद्योगिक इकाईयों के मेसों में भी बिक्री की जायेगी और प्राप्त धनराशि से इसका व्यापक स्तर पर उत्पादन का कार्य किया जायेगा, इसके साथ ही अधिक उत्पादन होने पर वाराणसी जैसे नगरों में भी बिक्री के लिए भेजा जायेगा। गर्मी के दिनों में ए0सी0 युक्त मशरूम उत्पादन से अच्छा-खासा कीमत मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो आमदनी का एक बहुत ही अच्छा जरिया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि मशरूम उत्पादन कार्य में जिले के एन0आर0एल0एम0 के समूहों के महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का भी कार्य किया जायेगा, जिससे वे आत्मनिर्भर की ओर अग्रसर हो सकेंगी। उन्होंने कहा कि राजकीय उद्यान परिसर में स्थापित मशरूम प्रशिक्षण सेन्टर में समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित भी किया जायेगा, जिससे वे मशरूम उत्पादन करने की विधिवत जानकारी प्राप्त करते हुए अपने घरों में मशरूम उगाने में सक्षम बन सकेंगी, इससे समूह की महिलाओं को घर बैठे रोजगार के साधन उपलब्ध होने के साथ ही परिवार के जीविकोपार्जन का एक सशक्त माध्यम बन सकेगा। इस दौरान जिलाधिकारी ने बताया कि मशरूम उत्पादन हेतु प्रशिक्षित महिलाओं को मशरूम उगाने के लिए कुल लागत की 40प्रतिशत की सब्सिडी उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे उनकोे मशरूम उत्पादन करने में काफी सहायता होगी।

इसी प्रकार से जिलाधिकारी ने राजकीय उद्यान परिसर में स्थापित की गयी पाली हाउस का भी निरीक्षण किये और उसके उत्पादन ,लागत व बचाव हेतु किये गये प्रबन्ध की विस्तार पूर्वक जानकारी जिला उद्यान अधिकारी से प्राप्त की। इस दौरान जिलाधिकारी ने सामान्य तरीके से खेती की तूलना में पाली हाउस की खेती करने के तकनीकी विधियों की जानकारी प्राप्त की तो, जिला उद्यान अधिकारी ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि सामान्य खेती की तूलना में इस विधि से खेती करने से पैदावार में काफी बढ़ोत्तरी होती है और इसके स्वाद भी अलग होता है।

इस विधि से खेती करने से किसानों को नुकसान का सामना नहीं करना पड़ता है और पैदावार अधिक होता है, पाली हाउस विधि से खेती करने का यह फायदा होता है कि किसी भी मौसम में कोई भी सब्जी उगायी जा सकती है, जिससे बाजार में सब्जी का अच्छी-खासी कीमत प्राप्त होती है।

इस मौके पर जिलाधिकारी ने कहा कि पाली हाउस की खेती करने के लिए किसानों को कुल लागत का 50प्रतिशत सब्सिडी भी प्राप्त होती है, किसान भाई इस विधि से खेती-बारी कर अपने आमदनी को काफी हद तक बढ़ा सकते है, जिससे कम जगह में अधिक पैदावार का लाभ उठा सकते हैं। निरीक्षण के दौरान डी0सी0 मनरेगा श्री रमेश यादव, डी0डी0 एन0आर0एल0एम0, अपर जिला सूचना अधिकारी श्री विनय कुमार सिंह सहित अन्य सम्बन्धितगणउ उपस्थित रहें।

रिपोर्ट – मुकेश कुमार, सोनभद्र

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